यूपी चुनावों में हारने के बाद मुलायम सिंह यादव ने अपने आराध्य देव की शरण ली। उन्होंने आंसुआें से लबालब भरे नैनों और भर्राए गले से पूछा,
'हे देव! आपने या मायाजाल फैला डाला, जो अपना सिंहासन डोल गया? `
देव ने कहा, 'वत्स मुलायम हम देवों का अस्त्र माया ही तो है। यदि हमारे पास माया न हो तो निसंदेह मानव हमें पूछे भी नहीं। `
'महाप्रभु, आप अंतरयामी होकर या कह रहे हैं। मैने तो सदैव आपको माना। माया का तो मैं परम विरोधी रहा हूं। मैने प्रजा को माया के मोह से बचाने के लिए तमाम कर्म किए। इस पर भी आप मुझ पर आरोप लगा रहे हैं।` मुलायम ने प्रत्युत्तर दिया।
यह सुनते ही देव ने मधुर मुस्कान फेंकी और बोले, 'पांच साल तक तुम माया च कर में ही तो फंसे रहे। तुम माया को लपेटने के फेर में फंसकर आज इस अधोगति के भागी बने हो। तुमने माया को ताज में लपेटा, माया के निगहबानों को घसीटा और माया का हर जगह बखान किया। इसलिए तुम्हारी शिकायत बेकार है कि आज राज्य में सबकुछ माया मय हो चुका है।`
भर्राए मुलायम के शिकायती बोल फूटे, 'देव मैं तो मायाविहीन सम्राज्य की स्थापना करना चाहता था। परंतु आपने ही सहयोग नहीं दिया। आप थाे़डी भी कृपा दृष्टि डालते तो यूपी माया से मु त होता।`
इस पर देव ने कहा, 'बालकों की तरह बात न करो मुलायम। तुम अच्छी तरह जानते हो कि खुद देवाधिदेव भी माया के बल पर ही इस संसार को चलाते हैें। तो फिर हम देव माया से अलग कैसे हो सकते हैं। माया के दम पर ही तो परमात्मा का शासन मृत्युलोक पर चलता है। वैसे ही यूपी तमाम भगवानों की जन्म और कर्मस्थली रही है। यहीं पर सतयुग में राजा हरिचंद्र के साथ माया ने खिलवाड़ किया, फिर तेत्रायुग में भगवान राम और द्वापर युग में कृष्ण ने मायाचार किया। सो इस कलियुग को माया से कैसे छुटकारा मिल सकता है।
इसलिए तू भी इस सत्य को जान और मान। यूपी में तू अपने अमर बचन माया को समर्पित कर कल्याण को प्राप्त हो। `
इतना कहकर देव अंतरधान हो गए और मुलायम देव के मायाजाल में उलझकर फिर माया के बारे में सोचने लगे।
रविवार, 22 जून 2008
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2 टिप्पणियां:
bahut accha likha hai
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