-राजीव थपलियाल
लालू जी का हैलीकाप्टर सड़क पर या उतरा कि हंगामा मच गया। जबकि, हंगामेदारों को लालू जी का धन्यवाद करना चाहिए कि उन्होंने बिहार की सड़कों को इज्जत बख्शी। हम इसमें लालू जी की तर कीपंसद छवि देख सकते हैं। लालू ने बिहार की सड़कों को अमेरिका-ब्रिटेन की सड़कों के तुलनीय माना है। भले ही अटल बिहारी वाजपेयी की चुतुर्भुज योजना का बिहार में बंटाधार हुआ हो, लेकिन लालू जी ने सड़कों की हालात से पूरे विश्व को जतला दिया है कि बिहार की सड़कों पर गाड़ियां ही नहीं हैलीकाप्टर भी पींगे मार सकते हैं।
वैसे सूत्रों का कहना है कि प्राकृतिक क्रिया ने हैलीकाप्टर की गति में व्यवधान डाला था, जिसके चलते उसे आपातकाल में बीच सड़क उतारना पड़ा। अब प्राकृतिक क्रिया से पीड़ित कौन था यह तो रहस्य है, लेकिन हमें उसकी भलमनसाहत की हमें दाद देनी चाहिए।
हालांकि लालू जी बाढ़ प्रभावित एरिया में जा रहे थे। जगह-जगह पानी-पानी था और यह पानी आसमान से ही टपका था। ऐसी हालत में यदि हैलीकाप्टर वासी भी अपने प्राकृतिक अंशों को नीचे गिरा देते तो किसी को मालूम भी नहीं चलता। हां इस दौरान यह खबर जरूर उड़ जाती कि लोगों ने आसमान से उल्का पिंड के अंश पानी की बौछारों के साथ गिरते देखे हैं। टीवी चैनल वालों को भी दो-चार दिन का 'दर्शक झेलाऊ` मसाला मिल जाता। शायद, यहीं पर चूक हुई और इस चूक ने बखे़डा खड़ा करवा दिया।
इसके अलावा यह भी हो सकता है कि लालू जी ठहरे रेलमंत्री। रेल यात्री जिन खुले मन से 'त्याग` कर्म में संलग्न रहते हैं, उसी भाव से रेल के मंत्री भी सफर के दौरान विसर्जन क्रिया को उद्यत हुए होंगे। उनको बस सफर के दौरान झाड़ी की ओट में जाने की आदत है और रेल अथवा हवाई जहाज के सफर में प्राकृतिक क्रिया के लिए अप्राकृतिक व्यवस्थाएं हैं। पर, हैलीकाप्टर यात्रा में ऐसा कोई प्रावधान नहीं किया गया है। अब सोचिए, जो हंगामा मचा रहे हैं वे ऐसी सिच्यूएशन में फंसते तो या करते।
इस घटना से वैज्ञानिकों और यांत्रिकों के लिए भी शोध का नया विषय मिला है। उनको हैलीकाप्टर में प्राकृतिक क्रिया से निपटने के साधन विकसित करने का मौका मिला है। हैलीकाप्टर क्रांति में हाजत की व्यवस्था एक महान मील का पत्थर मानी जाएगी, जिसके लिए आने वाली पीढ़ियां लालू जी की अभारी रहेंगी।
सोमवार, 11 अगस्त 2008
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